शनिवार, जून 1

कितना झूठ हक़ीक़त कितनी

विजय माल कौन पहनेगा 


अबकी बार चार सौ पार 

चला यह नारा बारम्बार, 

लोकतंत्र के भवसागर से 

यही करेगा बेड़ा पार !


दुनिया देख रही भौंचक्की 

बना चुनाव एक त्योहार, 

नेताओं का बड़बोलापन 

शब्दों की दुधारी तलवार !


कितना झूठ हक़ीक़त कितनी 

चाहे परखना हर पत्रकार, 

किंतु अजब पहेली इसकी 

कोई न पाये पारावार !


दिवस-रात्रि एक कर डाले 

सोना-जगना भी दुश्वार,

अब जाकर आराम मिला है 

जब से पकड़ी थी रफ़्तार !


छुपा हुआ है इवीएम में 

राज बना चुनाव का रार, 

विजय माल कौन पहनेगा 

किसको मिली करारी हार !


4 टिप्‍पणियां: