शुक्रवार, मई 24

अतीत

अतीत 


बातों बातों में   

छू जाती है जब 

अतीत की कोई बात

मन पीछे हट जाता है तत्क्षण चौंक कर  

अतीत उस पर हावी है 

क्योंकि अधूरा रह गया है  कुछ

जो पूरा होना चाहता है। 

 दबा  है भीतर 

अभिव्यक्त होना चाहता है। 

  नहीं प्रकटेगा जब तक 

 आसपास मंडराता रहेगा भूत की तरह

हजार-हजार तरीकों से चौंकाता रहेगा 

कभी-कभी मन में धूल उठती है 

स्मृतियों, भावनाओं, अनुभवों और आघातों की धूल 

जिनके ज़ख़्म अभी भरे नहीं  हैं।

मन  बस उन्हें भूल गया है

क्योंकि वह भूलना चाहता है। 

दूर धकेलता है  उन घावों को

लेकिन वे वहीं बने रहते हैं 

कभी भर नहीं पाते 

जब तक बाहर लाकर 

उन्हें सहला न दे

आँख भर के देख न ले 

स्वीकारे उन्हें, जैसे कोई स्वीकारता है

 प्रियजन की भूलों को 

तब अतीत घुल जायेगा वर्तमान में !


16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 26 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. अतीत वैसे भी हमेशा अच्छा हो न हो ... यादें उनकी अच्छी ही लगती हैं ...

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    1. यदि ऐसा है तो कोई बात ही नहीं, पर कभी-कभी अतीत वर्तमान के आड़े आ जाता है

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  3. बहुत सुन्दर रचना।

    अतीत में तो जाने कितनी ही स्मृतियां होती। ये हमारा मन भी बहुत बावला है। खुशी के पलों को चाहे बिसरा देता, गम को बिसराने नहीं देता। कभी कभी यह संभव नहीं हो पाता कि अतीत घुल जाए वर्तमान में।
    शुभ इतवार 🌹

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    1. सही कहा है आपने, मन नकार को पकड़ लेता है, स्वागत व आभार !

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  4. दूर धकेलता है उन घावों को
    लेकिन वे वहीं बने रहते हैं कभी भर नहीं पाते
    जब तक बाहर लाकर
    उन्हें सहला न दे
    आँख भर के देख न ले
    स्वीकारे उन्हें, जैसे कोई स्वीकारता है
    प्रियजन की भूलों को
    तब अतीत घुल जायेगा वर्तमान में !

    जख्मों को सहलाना, प्रियजन की भूलों को स्वीकारना और अतीत का वर्तमान में घुल जाना जैसे नदी समुद्र में मिल जाती है॥ "बीत गई सो बात गई" का मनोविज्ञान की संवेदनशील अभिव्यक्ति। अभिनंदन, अनीता जी।

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    1. सुंदर व सकारात्मक विस्तृत प्रतिक्रिया हेतु आभार नूपुरं जी !

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  5. जीवन के खट्टे मीठे अनुभवों की अनुभूति ने पगी अच्छी
    रचना।

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