शुक्रवार, मई 3

संबंध

संबंध 


यह जगत एक आईना है ही तो है 

हर रिश्ते में ख़ुद को देखे जाते हैं  

चुकती नहीं अनंत चेतना 

हज़ार-हज़ार पहलू उभर जाते हैं 

जन्म पर जन्म लेता है मानव 

कि कभी तो जान लेगा सम्पूर्ण 

ख़ुद को 

पर ऐसा होता नहीं 

जब तक अनंत को भी 

अनंतता का दीदार नहीं हो जाता 

तब तक बनाता रहता है संबंध 

विचारों, भावों, मान्यताओं 

और व्यक्तियों से 

वस्तुओं, जगहों, मूर्त और अमूर्त से 

यदि प्यार बाँटता है निर्विरोध 

तो भीतर सुकून रहता है 

रुकावट है यदि किसी भी रिश्ते में 

तो ख़ुद का ही दम घुटता है !




7 टिप्‍पणियां: