मंगलवार, मार्च 29

भारत

भारत

शांति का संदेश दे रहा
जो भारत सारी दुनिया को
स्वयं अशांत क्यों हो बैठा ?
प्रीत की डोर से बांधा जिसने
दुनिया के हर कोने को
स्वयं दुविधा में क्यों पैठा ?
सभी धर्म सभी मत वाले
जहाँ साथ ही रहते आये
चार्वाक, अनीश्वरवादी
भी सम्मानित होते आये
उस भारत ने आज कहाँ से
 भेदभाव की सीखी भाषा
जाति जन्म से नहीं कर्म से
जहाँ वर्ण की परिभाषा
सबको आगे बढ़ने का हक
अपनी बात कहे जाने का
सूख रही क्यों उस भारत में
समन्वयता की बेल आज है ?
भारत का भविष्य पूछता
वर्तमान से, क्या विचार है ? 

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