शनिवार, जून 22

योग करो


योग करो


ख़ुशी से जीना यदि चाहते
शांति हृदय की सदा खोजते
तन निरोग बने, यदि मांगते
योग करो !

दूर अकेलापन करने को
उर का खालीपन भरने को
तन की हर पीड़ा हरने को
योग करो !

अति समृद्धिशाली होने को
दिल की हर कटुता धोने को
नये स्वप्न मन में बोने को
योग करो !

मैत्री का उपवन खिलाने
जग को अपना मीत बनाने
धार प्रीत की मधुर बहाने
योग करो !

अद्वैत का स्वाद हो लेना
उर सागर में गहरे जाना
ध्यान सहज यदि चाहो पाना
योग करो !


5 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा है ... ध्यान लगाने में योग बहुत सहायक होता है ... पर ये ध्यान रखना आसान नहीं की योग करना है ...
    अच्छी रचना है ... सार्थक ...

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    1. आने वाले समय में योग का महत्व और भी बढ़ने वाला है

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  2. योग करो ...एक संदेश बहुपयोगी 👍

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  3. स्वागत व आभार ओंकार जी !

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