शनिवार, दिसंबर 7

वही सदा मुक्त है


वही सदा मुक्त है

जो भी सुना है
जो भी अनसुना रह गया है
जो भी जाना है
जो भी अजाना रह गया है
जो भी कहा है
जो भी अनकहा रह गया है
जो भी लखा है
जो भी अदेखा रह गया है
वह इन सबसे जुदा है
वही खुदा है !

जो मंदिर में भी है
जो मंदिर में ही नहीं है
जो मस्जिद में भी है
जो मस्जिद में ही नहीं है
जो गिरजे में भी है
जो गिरजे में ही नहीं है
जो गुरुद्वार में  है
गुरुद्वार में ही नहीं है
वही तो सब तरफ है
वही परम है !

जो कल भी था
जो कल भी रहेगा
जो आज भी है
आज के बाद भी रहेगा
जो समय से पूर्व था
समय के बाद भी रहेगा
वह कालातीत है
वही प्रीत है !

जो अति सूक्ष्म है
जो अति विशाल है
जो निकटस्थ है
जो सबसे दूर है
जो अनंत है
वही परम् आनंद है !

जो आँखों से दिखाता है
नजर नहीं आता है
जो कानों से सुनाता है
सुना नहीं जाता है
जो मन से लुभाता है
नींदों में सुलाता है
जो नित्य जाग्रत है
वही सदा मुक्त है !

13 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (09-12-2019) को "नारी-सम्मान पर डाका ?"(चर्चा अंक-3544) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं…
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ....... ,.....11 दिसंबर 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  3. बहुत ही सुन्दर सृजन आदरणीया दीदी जी
    सादर

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  4. वाह!!!
    क्या बात....
    जो सदा मुक्त है उसे शब्दों मेंं बाँधना!!!
    लाजवाब सृजन

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  5. इस परम आनंद को बस महसूस ही करना होता है ... वो हर जगह हो के भी कहीं नहीं है ... सुन्दर सृजन ...

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  6. वाह वाह वाह
    क्या लिखते हो मैम ।
    प्रशंसा के लिए शब्द नहीं हैं।

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