गुरुवार, फ़रवरी 25

वह

वह 


खुदा बनकर वह सदा साथ निभाता है

मेरा हमदम हर एक काम बनाता है 


जिंदगी फूल सी महका करे दिन-रात 

कितनी तरकीब से सामान जुटाता है  


न कमी रहे न कोई कामना अधूरी 

बिन कहे राह से हर विरोध हटाता है 


किस तरह करें शुक्रिया ! कैसे जताएं ?

कुछ किया ही नहीं काम यूँ कर जाता है 


दिल मान लेता जिस पल आभार उसका 

वह निज भार कहीं और रख के आता है 


कौन है  सिवाय उसके या रब ! ये बता 

वही भीतर वही बाहर नजर आता है  

 

24 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. जिंदगी फूल सी महका करे दिन-रात

    कितनी तरकीब से सामान जुटाता है ।

    कितनी प्यारी ग़ज़ल । हमदम है, सब कुछ करता है । भावों का समर्पण ।

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  3. कौन है सिवाय उसके या रब ! ये बता

    वही भीतर वही बाहर नजर आता है

    बहुत सुंदर,सादर नमन अनीता जी

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  4. आदरणीया मैम,
    बहुत ही सुंदर कविता। जीवनसाथी में ईश्वर नज़र आएँ या ईश्वर जीवन के हर सुख-दुःख में साथ। दोनों अनुभूतियाँ सुंदर हैं और इस कविता में दोनों अनुभूतियाँ नज़र आ रहीं हैं। हृदय से आभार इस सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए।

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    1. कविता के मर्म तक पहुँच कर सुंदर प्रतिक्रिया हेतु आभार अनंता जी!

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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