जाने कैसी लीला अद्भुत
भोली सी मुस्कान ओढ़कर
सेल्फी तो इक ले डाली,
पर दीवाने दिल से पूछा
है क्या वह खुद से भी राजी !
जिसने देखे स्वप्न सलोने
या जो ख्वाबों में रोया था,
उस छलिया से कुछ तो पूछो
कब वह चैन से सोया था !
‘उसको’ तो बस तकना आता
टुकुर-टुकुर देखा करता है,
मन बेचारा किसकी खातिर
सुख-दुःख की लीला रचता है !
मन भोला जो लगन लगाता
जानबूझ कर अगन लगाता,
उसकी याद में रोती मीरा
राधा का दामन भर जाता !
जाने कैसी लीला अद्भुत
देख-देख दुनिया हैरान,
युग-युग से जग में रहते हैं
कभी न उससे हुई पहचान !
भोली सी मुस्कान ओढ़कर
जवाब देंहटाएंसेल्फी तो इक ले डाली,
पर दीवाने दिल से पूछा
है क्या वह अपने से राजी !
बहुत खूब...
सुंदर रचना...
स्वागत व आभार !
हटाएंबहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन अनीता जी ,सादर नमन
स्वागत व आभार कामिनी जी !
हटाएं‘उसको’ तो बस तकना आता टुकुर-टुकुर देखा करता है,
जवाब देंहटाएंमन बेचारा किसकी खातिर सुख-दुःख की लीला रचता है !
सुंदर रचना...
स्वागत व आभार !
हटाएंनमस्ते अनीता जी, मैं श्रीकृष्ण का चित्र देखकर ही मैं समझ गई थी कि आपकी रचना ही होगी यह ...
जवाब देंहटाएंमन भोला जो लगन लगाता
जानबूझ कर अगन लगाता,
उसकी याद में रोती मीरा
राधा का दामन भर जाता !..वाह
स्वागत व आभार अलकनन्दा जी, आपके स्नेह से अभिभूत हूँ
हटाएंबस उसी रब को ही तो पहचानना है ... जिसकी लीला से चल रहा है ये जग ...
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण लाजवाब रचना ...