बुधवार, मई 19

मधुर याद बनकर रह जाते

मधुर याद बनकर रह जाते 



महाशून्य में जो खो जाते 

मधुर याद बनकर रह जाते !


जीवन रण में विजयी हो भी 

हो आहत जो बाट जोहते, 

कालदेव अंतिम पीड़ा हर 

हर बंधन से मुक्ति दिलाते !


छोड़ जगत यह वापस जाते 

मधुर याद बनकर रह जाते !


जग मेले में आकर मिलते 

सँग-सँग खुशियां सोग बांटते, 

इक दूजे का स्नेह पात्र बन 

बढ़ते, पलते, और पनपते !


इक झटके में गुम हो जाते 

मधुर याद बनकर रह जाते !


दुनिया एक सराय अनोखी 

अनगिन आते, अनगिन जाते, 

आते-जाते ही रिश्तों की 

सरस डोर से क्यों बँध जाते !


नीड़ त्याग नव नीड़ सजाते ?

मधुर याद बनकर रह जाते !


या फिर कारगार है दुनिया 

सजा काटने ही हम आते, 

जब जिसकी सजा पूरी हुई 

कारावास से मुक्ति पाते !


तोड़ें बंधन फिर उड़ जाते 

मधुर याद बनकर रह जाते !




 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर ( 3034...रात की सियाही को उजाले से जोड़ोगे कैसे...?) गुरुवार 20 मई 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है. ऐसे ही आप अपनी कलम को चलाते रहे. Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.

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  3. दुनिया एक सराय अनोखी

    अनगिन आते, अनगिन जाते,

    आते-जाते ही रिश्तों की

    सरस डोर से क्यों बँध जाते !


    नीड़ त्याग नव नीड़ सजाते ?

    मधुर याद बनकर रह जाते ! यथार्थपूर्ण जीवन दर्शन ।

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  4. इस दुनिया के मेले की सुन्दर झांकी प्रस्तुत की !

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  5. चिंतन देते गहन भाव , अभिनव सृजन।

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  6. सही कहा आपने। इंसान खट्टी-मीठी यादें छोड़ कर निकल पड़ता है फिर एक नए नीड़ की ओर और ऐसे ही यह सिलसिला अविरल चलता रहता है।

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  7. यूँ तो दुनिया में आना जाना लगा ही रहता । बस यादें मधुर होनी चाहिये । सुंदर रचना

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