शनिवार, सितंबर 14

हिन्दी दिवस पर

हिन्दी दिवस पर 

हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं 

एक पुल है

यह जोड़ती है भारत ही नहीं विश्व को 

इतिहास, पुराण और संस्कृति के 

अनमोल खजानों से 

कबीर, सूर और तुलसी के साथ 

अनगिनत साहित्यकारों के फसानों से  

हिन्दी संस्कार की भाषा है 

अति सरल, मधुर, प्यार की भाषा है 

हाँ, नहीं बन सकी यह 

विज्ञान और व्यापार की भाषा 

या शायद रोज़गार की भाषा 

इसलिए आज अपने ही घर में बेगानी है 

इसकी शुद्धता और मर्यादा की 

कहीं-कहीं हो रही हानि है 

भावनाओं को शब्द देती 

हिन्दी प्रीत सिखाती है 

पोषित करती मनों को 

आगे ले जाती है 

हिन्दी माँ है, समझाती है 

काव्य रस का पान कराती है 

आज़ादी का संघर्ष 

इसके बलबूते लड़ा गया 

उत्तर को दक्षिण से मिलाती है 

 तय किया है एक लंबा सफ़र हिन्दी ने 

अभी और आगे जाना है 

देश विदेश में इसका मान और सम्मान बढ़ाना है 

हिन्दी को उसकी क्षमता की 

पहचान दिलानी है  

शिशुओं को शुद्ध हिन्दी सिखानी है 

क्योंकि हिंदुस्तान की शान है हिन्दी 

भारत की पहचान है हिन्दी !


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द रविवार 15 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. "जैसे चींटियाँ लौटती हैं
    बिलों में
    कठफोड़वा लौटता है
    काठ के पास
    वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक
    लाल आसमान में डैने पसारे हुए
    हवाई-अड्डे की ओर
    ओ मेरी भाषा
    मैं लौटता हूँ तुम में
    जब चुप रहते-रहते
    अकड़ जाती है मेरी जीभ
    दुखने लगती है
    मेरी आत्मा।"

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    1. बहुत सुंदर दिल को छूने वाली पंक्तियाँ ! स्वागत व आभार रूपा जी!

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