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रविवार, जनवरी 19

नये साल की एक भोर

नये साल की एक भोर 


वादा किया था उस दिन

एक नयी भोर का  

लो !  आज ही वह भोर 

मुस्कुराती हुई आ गई है 

गगन लाल है पावन बेला 

सितारों ने ले ली है विदा 

दूर तक फैला है उजियाला 

नयी राहों पर कदम बढ़ाओ 

आँख खोली है पंछियों और कलियों ने 

संग हवाओं के तुम भी तो कुछ गुनगुनाओ 

पोंछ डालो हर कालिमा बीती रात की 

नये जोश से नये साल में कदम रखो 

ख़ुद के होने पर गर्व करो 

अपनी हस्ती को जरा और फैलाओ !


मंगलवार, दिसंबर 22

जब नया साल आने को है

जब नया साल आने को है 
 हर भोर नयी हर दिवस नया 
हर साँझ नयी हर चाँद नया,
हर अनुभुव भी पृथक पूर्व से 
हर स्वप्न लिए संदेश नया !

हम बंधे  हुए इक लीक चलें 
प्रतिबिम्ब कैद ज्यों दर्पण में,
समय चक्र आगे बढ़ता पर 
ठिठक वहीं रह जाते तकते !

नयी चुनौती, नव उम्मीदें 
करें सामना नई ललक से, 
बीता कल जो कहीं खो गया 
आने वाला उसे सराहें !

जब नया साल आने को है 
नव आशा ज्योति जगे उर में, 
जो सीख मिली धारें, मन को 
खोलें हर दिन नव चाबी से !


शनिवार, जनवरी 2

नया साल मुबारक हो

नया साल

घड़ी की सुईयां जब आधी रात को मिलेंगी
विदा हो जायेगा वक्त का एक वह टुकड़ा
जिसे नाम दिया है हमने ‘दो हजार पन्द्रह’
...और सुगबुगा कर आँख खोलेगा एक नया कालखंड
दिखाकर अपना सुनहरा मुखड़ा !

नये वर्ष में होंगे नए दिन और नयी रातें
नये सूर्योदयों और नव चन्द्रमा से होंगी मुलाकातें
आज तक नहीं घटा सृष्टि में
नया वर्ष उन दिनों, हफ्तों और महीनों को घटायेगा
नये वर्ष में हर फूल पहली बार मुस्कुराएगा
नया इरादा फिर क्यों न करें
नया वादा भी अपने आप से
नये संकल्प कर मनों में
नव शक्ति भरें शुभ जाप से !

पुरानी पर स्वयं के लिए नव, संस्कृति से पहचान करें
जिनसे नहीं मिले बरसों से
उन इतिहास के पन्नों से जान-पहचान करें
नया परिचय हो अपने पुराने देश से
डाल आँखों में आँख मिलें चहूँ परिवेश से
बरसों से भूले हैं काम वे नये करें
नये कुछ मित्र बनें, नये कुछ रंग भरें
आदतों में कैद जो जीवन घट रीत रहा
नये संकल्प भर इसमें नव राग भरें !

बीत गया वक्त जो यादों में बोझ बना
रख दें उतार पल में
अंतर को खाली करें
नये स्वप्नों का करने स्वागत
 लायेगा जो वर्ष आगत  
नव वर्ष कुछ नया तो लायेगा
जीवन कुछ और ढंग से गुनगुनाएगा
धरा उसी तरह चक्कर लगाएगी सूर्य का
पर सूर्य कुछ और वृद्ध हो जायेगा
नये इरादों के पहन कवच
क्यों न उतरें समय की इस भंवर में
नये वर्ष में सराबोर हो जाएँ
उत्साह और उमंग की लहर में !

मंगलवार, दिसंबर 23

नये वर्ष की इबादत

प्रिय ब्लॉगर मित्रों, एक सप्ताह के लिए इस वर्ष की अंतिम यात्रा पर आज ही निकलना है, उत्तर भारत में भीषण सर्दी है इसके बावजूद..नये वर्ष की शुभकामनाओं के साथ विदा. नये वर्ष के लिए आप सभी को उपहार स्वरूप कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं.
 नये वर्ष की इबादत


जाते हुए बरस की हर घड़ी यही तो नहीं कह रही
बीत गया वसंत एक और आस ज्यों की त्यों रही

दस्तक दे नई भोर, उससे पहले
अधूरे स्वप्नों को फिर से सजाना है
नये वर्ष में यकीनन हर किसी को
गीत जिन्दगी का गुनगुनाना है !

साफ रखना है अपनी गली का हर कोना
गौरैया को दाना चुगाना है,
अधूरा रह गया था जो ख्वाब वर्षों पहले
इस बार तो उसे अंजाम पर पहुँचाना है !

दरियाओं को और नहीं पाटना
जहर फिजाओं में नहीं मिलाना है,
चैन की नींद सो सकें माँ-बाप घरों में
बेटियों को किसी हाल नहीं सताना है !

खिला सके हर बच्चा अपनी शख्सियत को
सूरज तालीम का उगाना है
दम न तोड़े यौवन अंधेरों में
किरदार अपने हिस्से का सबको निभाना है !

छंट जाएँ आतंक के कोहरे वतन के आसमां से
हर जुल्मो सितम से छुड़ाना है,
घरों से दूर हुए नौनिहाल खो गये
बिछुड़े हुओं को फिर से मिलाना है !

जंगलों को काट बेघर कर रहे बाशिंदों को
निज स्वार्थ हित नहीं उन्हें मरवाना है
दरिंदों के चंगुल से निकाल मासूमों को
सुकून से जीने का हक दिलाना है !

नया वर्ष दस्तक दे उससे पहले कुछ नई रस्में बना लें
छूट गये जो पीछे साथी उन्हें साथ चलने को मना लें !