रविवार, अप्रैल 14

कोई है


कोई है

कोई है
सुनो ! कोई है
जो प्रतिपल तुम्हारे साथ है
तुम्हें दुलराता हुआ
सहलाता हुआ
आश्वस्त करता हुआ !

कोई है
जो छा जाना चाहता है
तुम्हारी पलकों में प्यार बनकर
तुम्हारे अधरों पर मुस्कान बनकर
तुम्हारे अंतर में
सुगंध बनकर फूटना चाहता है !

कोई है
थमो, दो पल तो रुको
उसे अपना मीत बनाओ
खिलखिलाते झरनों की हँसी बनकर
जो घुमड़ रहा है तुम्हारे भीतर
उजागर होने दो उसे !

कोई है
जो थामता है तुम्हारा हाथ
हर क्षण
वह अपने आप से भी नितांत अपना
बचाता है अंधेरों से ज्योति बन के
समाया है तुम्हारे भीतर
उसे पहचानो
सुनो, कोई है !

10 टिप्‍पणियां:

  1. .भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें रिश्तों पर कलंक :पुरुष का पलड़ा यहाँ भी भारी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

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  2. बहुत सुन्दरता और प्रेम से रची पंक्तियाँ.

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  3. us koi me hi to hamara astitav samahit hai .............bahut sundar rachna

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  4. कितना सुन्दर विश्वास कि ऐसा कोई निरंतर हमारे साथ है -सदा बना रहे!

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  5. सत्य वो कोई सदा साये की मानिंद साथ रहता है हमारे..........बहुत सुन्दर कविता।

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  6. शिखा जी, शालिनी जी, निहार जी, संध्या जी, प्रतिभा जी व इमरान आप सभी का स्वागत व आभार !

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  7. मन आनंद से भर जाता है..आपको पढ़कर..

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  8. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (8) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  9. भावमय करते शब्‍दों का संगम ....

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  10. भावो की माला पिरोती अद्भूत नही सुन्दर कविता

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