मंगलवार, अप्रैल 30

वृद्धावस्था




वृद्धावस्था 

नहीं भाता अब शोर जहाँ का
अखबार बिना खोले पड़ा रह जाता है
टीवी खुला भी हो तो दर्शक
सो जाता है
गर्दन झुकाए किसी गहन निद्रा में
आकर्षित नहीं कर पाते मनपसंद पकवान भी
नहीं जगा पाते ललक भीतर
न ही भाता है निहारना आकाश को
कुछ घटता चला जाता है अंतर्मन पर
ऊर्जा चुक रही है
शिथिल हो रहे हैं अंग-प्रत्यंग
दर्द ने अब घर बना लिया है स्थायी...
झांकता ही रहता है किसी न किसी खिड़की से तन की
छड़ी सहचरी बनी है
कमजोरी से जंग तनी है
दवाएं ही अब मित्र नजर आती हैं
रह-रह कर बीती बातें यद आती हैं
जीवन की शाम गहराने लगी है
नीड़ छोड़ उड़ गए साथी की पुकार भी
अब बुलाने लगी है
रंग-ढंग जीवन के फीके नजर आते हैं
कोई भाव भी नजर नहीं आता सपाट चेहरे पर
कोई घटना, कोई वाकया नहीं जगाता अब खुशी की लहर
क्या इतनी बेरौनक होती है उसकी आहट
इतनी सूनी और उदास होती है
रब की बुलाहट
क्यों न जीते जी उससे नाता जोड़ें
आखिरी ख्वाब से पहले उसकी भाषा सीखें
मित्र बनाएँ उसे भी जीवन की तरह
तब उसका चेहरा इतना अनजाना नहीं लगेगा
उसका आना इतना बेगाना नहीं लगेगा !






9 टिप्‍पणियां:

  1. क्यों न जीते जी उससे नाता जोड़ें
    आखिरी ख्वाब से पहले उसकी भाषा सीखें
    मित्र बनाएँ उसे भी जीवन की तरह
    तब उसका चेहरा इतना अनजाना नहीं लगेगा
    उसका आना इतना बेगाना नहीं लगेगा !

    काश यह सोच सबकी हो ... बुढ़ापा बोझ नहीं लगेगा । सुंदर प्रस्तुति

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  2. सबको एक दिन इसी स्थिति से गुजरना है -बहुत सुन्दर प्रसूति
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

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  3. कही भी जाने से पहले उसकी तैयारी जरूरी होती है उसी तरह ये भी जरूरी है कि परमात्मा से मिलन से पहले अपना रास्ता साफ़ करें और जीवन जीने योग्य बनायें तो मिलन मे बाधा नही रहती।

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  4. सही कहा..हम सबको एक दिन इसी स्थिति से गुजरना है -बहुत सुन्दर सार्थक प्रसूति

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  5. बहुत सुन्दर अनिता जी.....
    एक सच्चाई है ये ,जिसका सामना सभी को करना है एक न एक दिन....

    सादर
    अनु

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  6. आखिरी ख्वाब से पहले उसकी भाषा सीखें
    मित्र बनाएँ उसे भी जीवन की तरह.

    वृद्धावस्था को सही रूप में गुजरने के लिये खुद में बदलाव लाना सुखद हो सकता है. सुंदर भाव सुंदर प्रस्तुति.

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  7. बहुत खूब उसकी रंगत लगे जानी पहचानी .

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  8. वृद्धावस्था को शब्दों में ढाल दिया है.......सही कहा आपने शरीर के अंतिम समय में शाश्वत से ही जुड़ने का विचार रखें।

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