स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर
याद आ रहीं वे गाथाएं
सुनकर जिनको बीता बचपन,
शौर्य, वीरता, बलिदानों से
थी
सिचिंत जिनकी हर धड़कन !
आजादी अनमोल दिलाई
स्वयं के सुख-दुःख जो भूले थे,
‘करो या मरो’ के नारे संग
बढ़े, गर्व से वे से फूले थे !
भारत की संस्कृति का गौरव
स्मृति पटल पर आज छा रहा,
बसी है खुशबू मन में जिसकी
हर युग का इतिहास भा रहा !
काश्मीर का केसर महके
ताजमहल की सुन्दरता भी,
हिम से आच्छादित गिरिवर हैं
गंगा, यमुना का अमृत भी !
सतलज, रावी और चिनाब
कल-कल करतीं बुनती ख्वाब,
अमृतसर के हर मन्दिर में
झुका रहा है सिर पंजाब !
काशी के वे घाट अनोखे
शिव, गौरी के सुन्दर धाम,
संगम पर जुड़ता है कुम्भ
पुण्य भूमि हे ! तुम्हें प्रणाम !
वीर बाँकुरे मारवाड़ के
महल, हवेली गाथा कहते,
महाराणा के अस्त्र देखकर
चकित हुए से दर्शक रहते !
दक्षिण हो या तट पश्चिमी
सागर की लहरों का जाल,
सीमाओं पर सजग सिपाही
उन्नत है भारत का भाल !
उन शहीदों को नमन जिनके बल पर भारत का भाल उन्नत है !
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसादर
Nice
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति...... आपको भी स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया .. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंप्रतिभा जी, यशवंत जी, सरिक जी, सुषमा जी, अनुपमा जी व माहेश्वरी जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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