सोमवार, अगस्त 26

काश्मीर की बर्फीली चोटियों पर

काश्मीर की बर्फीली चोटियों पर  

उन्होंने रक्त बहाया
अंतिम बूंद तक
ताकि सलामत रहे देश...
 भटके मीलों पैदल रह भूखे
वज्र बनाया अस्थियों को
भीगे शोलों की वर्षा में
 तपन समोई भीतर अपने
ताकि भारत, भारत रहे...
व्यर्थ न हो यह उनका बलिदान
बर्फीले रस्तों पर घट रहा है जो
सम्भवतः नया वीर जन्मता होगा
 उसी क्षण में ही
जब मरता होगा सैनिक कोई !
सदा सीने पर खायी गोलियाँ
नहीं दिखाई किसी ने पीठ
बढ़ते ही गये एक लक्ष्य लेकर
चढ़ते ही गये न रुके कदम कभी उनके
ताकि मरण सार्थक बने 

7 टिप्‍पणियां:

  1. यह हम देशवासियों का कर्तव्य है कि उनके बलिदान को व्यर्थ न जाने दें - जिसलिए में हमारे शहीदों ने जीवन अर्पण किया उनकी आन और मान बनाए रखें !

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  2. ... और हम जीवन के उन बिन्दुओं को पहचान भी न सके ...

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  3. जय जवान..जय भारत माता.. जय हिन्द..

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  4. बेहतरीन कवित…… जय जवान जय हिन्द

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  5. बलिदानी ज़ज्बा पूरा उभरा है इस शब्द चित्र में कुर्बानी के।

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  6. हम अपने घरों में इसलिए सुख से जी रहे र्हे कि सरहद पर हमारे जवान हमारी सुरक्षा में तैनात हैं । भाव-पूर्ण रचना ।

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