नये वर्ष की शुभकामनायें
जब तक हाथों में शक्ति है
जब तक इन कदमों में बल है,
मन-बुद्धि जब तक सक्षम हैं
तब तक ही समझें कि हम हैं !
जब तक श्वासें है इस तन में
जब तक टिकी है आशा मन में,
तब तक ही जीवित है मानव
वरना क्या रखा जीवन में !
श्वास में कम्पन न होता हो
मन स्वार्थ में न रोता हो,
बुद्धि सबको निज ही माने
स्वहित, परहित में खोता हो !
जब तक स्व केंद्रित स्वयं पर
तब तक दुःख से मुक्ति कहाँ है,
ज्यों-ज्यों स्व विस्तृत होता है
अंतर का बंधन भी कहाँ है !
जब तक खुद को नश्वर जाना
अविनाशी शाश्वत न माने,
तब तक भय के वश में मानव
आनंद को स्वप्न ही जाने !
ज्यों-ज्यों स्व विस्तृत होता है
जवाब देंहटाएंअंतर का बंधन भी कहाँ है !
सच! इस विस्तार की ओर प्रस्थान ही जीवन है... हम सबके साथ घटित हो यह विस्तार!
नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं आपको भी!
सादर!
वाह बहुत ही खूबसूरत …… आपको भी नववर्ष कि हार्दिक शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंजब तक खुद को नश्वर जाना
जवाब देंहटाएंअविनाशी शाश्वत न माने,
तब तक भय के वश में मानव
आनंद को स्वप्न ही जाने !
बहुत सुन्दर अर्थ पूर्ण रचना।
अनुपमा जी, इमरान, प्रसन्न जी, वीरू भाई आभार तथा आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
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