नाम प्रेम का लेकर
नाम प्रेम का लेकर
उससे
मिलकर जाना हमने
प्यार
किसे कहते हैं,
नाम
प्रेम का लेकर कितने,
खेल चला करते हैं !
चले
हुकूमत निशदिन उस पर,
जिसको अपना माना,
मैं
ही उसका रब हो जाऊं
और
न कोई ठिकाना !
नहीं
प्रेम में कोई बंधन
मुक्त
गगन के जैसा,
सब
पर सहज मेह सा बरसे
मुक्त
पवन के जैसा !
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी...
हटाएंबहुत ही खूबसूरत और सार्थक।
जवाब देंहटाएंरोज़ मरता है प्यार
प्यार के नाम पर
जरूरते हो चली मोहोब्बत
हर जुबाँ पर
स्वागत व आभार अनिल जी..
हटाएंनहीं प्रेम में कोई बंधन
जवाब देंहटाएंमुक्त गगन के जैसा,
सब पर सहज मेह सा बरसे
मुक्त पवन के जैसा !
बहुत खूबसूरत...