शुक्रवार, अक्तूबर 8

काली माँ, कपालिनी अम्बा

काली माँ, कपालिनी अम्बा


कल्याणी, निर्गुणा, भवानी

अखिल विश्व आश्रयीदात्री,

वसुंधरा, भूदेवी, जननी

धी, श्री, कांति, क्षमा, सुमात्री !


श्रद्धा, मेधा, धृति तुम माता 

अम्बा गौरी, दुःख निवारिणी

जया, विजया, धात्री, लज्जा

कीर्ति, स्पृहा, हो दया कारिणी !


चिन्मयी दिव्य पराम्बा तुम

उमा, पार्वती, सती, भवानी,

ब्रह्मचारिणी, ब्रह्मस्वरूप 

सावित्री, शाकम्बर देवी !


काली माँ, कपालिनी अम्बा

स्वाहा तुम्हीं स्वधा कहलाती,

विश्वेश्वर, आनन्ददायिनी

क्षेमंकरी, पर्वत वासिनी  I


त्रिगुणमयी, करुणामय, कमला

चण्डी, शाम्भवी, हो सुभद्रा,

हे भुवनेश्वरी, मात गिरिजा

मंगल दायी, हे जगदम्बा !  


सिंह वाहिनी, कात्यायनी

चंद्रघंटा, कुष्मांडा भी, 

अष्टभुजा, स्वर्णमयी माता 

त्रिनेत्री तुम सिद्धि दात्री I


4 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०९-१०-२०२१) को
    'अविरल अनुराग'(चर्चा अंक-४२१२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. उत्कृष्ट स्तुति
    माँ की
    जय दुर्गा

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर अत्यंत पवित्र भावपूर्ण शब्दों से सजी सुंदर प्रार्थना।🙏

    सादर।

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