सड़कों पर नावें चलीं बारिश ने कैसा कहर ढाया
घरों में कैद हुए लोग वक्त कैसा बेरहम आया
तैरने लगे वाहन ज्यों तैरती किश्तियाँ कागज की
ढहीं इमारतें सड़कें बहीं थमी नहीं ऋतु सावन की
कैसा सैलाब आया कैसा आलम जहाँ पर बरपा
हर तरफ अफरातफरी हर छोटा बड़ा नाला उफना
मेड़ तोड़ खेतों में पानी बाढ़ का बेहिसाब भरा
कहीं सूखा पड़ा लोग राह तकते कहीं बादल फटा
मौसमी बदलाव का असर धरा पर बहुत भारी पड़ा
बेबस बड़ा आदमी कुदरत के आगे सबक फिर पढ़ा
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