एक शिक्षक विद्यार्थी को उसकी छुपी हुई प्रतिभा से ही परिचित नहीं कराता, उसके भीतर सुंदर स्वपन और उन्हें पूर्ण करने का उत्साह भर देता है जो जीवन में आने वाली किसी भी बाधा से घबरा कर उसे थमने नहीं देता।
शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ
अंतहीन विस्तार है यहाँ
केवल गगन हमारी सीमा,
जो चाहे वह पा सकते हैं
अति अद्भुत चेतन की महिमा !
आयामन सृष्टि का देखकर
जीवट, शक्ति, प्रेरणा भर लें,
जो भी चल पड़ता है पथ पर
श्रद्धा और विवेक तार दें !
उसी नूर से जग उपजा है
कण-कण में अनरूप समाया,
जो चाहे आकार बना लें
बड़ी अनोखी उसकी माया !
उसके ही प्रतिनिधि बन जाएँ
निज क्षमता को कम न आंकें,
छुपी हुई हर प्रतिभा को अब
जीवन का उपहार मान लें !
पूँजी अपनी बाहर लाएँ
सींच प्रेम, शांति, आनंद से,
अंतर की भूमि है संपन्न
भक्ति, ज्ञान, पूत मूल्यों से !
विश्व एक क्रीड़ा का प्रांगण
अपनी बाजी से क्यों डरते,
दांव सीख भाग्य आजमाएं
हृदय सहज उमंग से भर के !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 06 सितम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार यशोदा जी!
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (6-9-22} को "गुरु देते जीवन संवार"(चर्चा अंक-4544) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी !
हटाएंप्रेरक भावपूर्ण हृदय स्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अभिलाषा जी!
हटाएंशिक्षक दिवस के अवसर पर बहुत सुंदर और प्रेरक सृजन। आपको बहुत-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
हटाएंबहुत सुंदर रचना । प्रेरक ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार संगीता जी !
हटाएंबहुत उम्दा रचना आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार दीपक जी !
हटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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