दंत कथा
दांतों तले उँगली दबाते, देख एआई के कमाल
आज मरने के बाद भी पूछा जाता है मृतक का, उसी से हाल
दांत काटे की रोटी खाते हैं जो, कभी अकेले नहीं रहते
कोई जन बात-बात पर दांत पीसने लगते
कर दिए थे दांत खट्टे दुश्मनों के कारगिल में
बजने लगे थे बेसाख़्ता दांत बर्फीले मौसम में
कड़ी ठंड में भी आ गया था दुश्मन को दांतों पसीना
वरना कोई बत्तीसी निकाल हाथों में धर देने की धमकी देता
तो कोई बत्तीसी दिखाने पर झिड़कता
दांत झलकाने पर ही कोई भलामानस बुरा मान जाता
आनन-फ़ानन में दांत तोड़ने की धमकी दे देता
दांत निपोर कोई दया की अर्ज़ी लगाता है
दांत गिरते हैं, दांत झरते हैं गोया कि फूल हैं
उनके दांतों की मिसाल दी जाती है
दाड़िम के दानों से
उपमा होती है कभी मोतियों से
किसी के दांत गिनने में नहीं आते
पता नहीं कौन सी चक्की का आटा हैं खाते
मार्केट लुढ़क जाए तो जम जाते हैं कितने दांत तालू में
कोई दांतों से चबवाता है लोहे के चने
कोई झेंपकर तो कोई बिना किसी लिहाज़ के दांत निपोरता
कोई सेठ दांतों से कौड़ियाँ पकड़ता
कोई रह रह कर दांत किटकिटाता है
दांत गड़ाए है कोई परायी दौलत पर
डटा हुआ है कोई दांतों को जमाकर
दांतों में जिव्हा की तरह रहता था विभीषण
दूध के दांत टूटे भी नहीं कि आजकल
बच्चे बड़ों को तकनीक सिखाते हैं
आरसीटी कर दांतों को चिकित्सक बचाते हैं
बाहर निकले हुए दांत भीतर समाते हैं
बदल देते मुस्कान नए दांत भी लग जाते हैं
इस तरह हिंदी में दांतों के मुहावरे नज़र आते हैं !
व्वाहहहहहह
जवाब देंहटाएंकमाल है दांत बेमिसाल है
सादर
स्वागत व आभार यशोदा जी!
हटाएंवाह वाह 😀
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार दीदी!
हटाएंवाह रोचक थी ये दंत कथा।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार विकास जी !
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