बुधवार, फ़रवरी 12

जीवन स्रोत

जीवन स्रोत 


उस भूमि पर टिकना होगा 

जहाँ प्रेम कुसुमों की गंध भरे भीतर 

 सत्य की फसल उगती है 

जहां अभेद के तट हैं 

शांति की नदी बहती है 

जब जगत में विचरने की बारी  आये 

तब भी उस भूमि की याद मिटने न पाये 

जहां एकत्व है और स्वतंत्रता 

अटूट शाश्वत समता 

जो अर्जित की गई है 

पूर्णता की धारा से 

जहाँ आश्रय मिलता है 

हर तुच्छता की कारा से 

वहीं ठिकाना हो सदा मन का 

जो स्रोत है हर जीवन का ! 



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