रविवार, अगस्त 29

कृष्ण जन्माष्टमी



कृष्ण जन्माष्टमी 


बुद्धि हमारी देवकी मानस है वसुदेव

दोनों का शुभ मिलन बने आनंद का गेह !


तन यह कारागार है अहंकार है कंस

पंचेंद्रियाँ पहरा दें भीतर बंदी हंस !


पहरेदार सोए इन्द्रियाँ हुईं उपराम

मन बुद्धि में लीन हुआ भीतर प्रकटे श्याम !


आसक्ति कालिंदी है जाना गोकुल धाम

छूटे मन का राग तो  मिल जाय घनश्याम !



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