तेरा पता
तेरा पता मिला है अब जग से क्या मिलें,
पहुंचेंगे तेरे दर पे अरमान ये खिलें
तुझसे ही आ रही है पुरनम सी यह हवा
सब को मेरी दुआ से मिलने लगी शफा
जब से लगी लगन उठा है कुछ धुआँ
माटी का तन तपा कंचन सा यह हुआ
आखिर जगत का सच आ ही गया सम्मुख
फानी है सब यहाँ सुख हो कि कोई दुःख
दिल यह बना है दिल जब से मिले नयन
पहले पहल थी चिनगी भभकी हुई सघन
जलते हुए जगत में शीतल किया है मन
कैसी अनोखी आग बुझने लगी तपन
२५ अगस्त २०१०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें