नक्सलवाद उबाल खा रहा,
रह-रह कर सुलगे काश्मीर
कॉमन वेल्थ गेम सर पे हैं,
कौन हरे भारत की पीर !
आए दिन बढ़ रहे हादसे,
कभी संसद में घेरा बंदी
मंहगाई सुरसा सी बढ़ती,
रोजगार में आयी मंदी
नेतागण जेब लगे भरने
ब्यूरोक्रेसी के क्या कहने,
नेतृत्व चुप्पी साधे है
क्या लज्जा के गहने पहने?
धर्म जाति के नाम अभी भी
सरकारें गिरतीं या बनतीं,
काम करें या समय बितायें,
जवाबदेही किस की बनती?
कहीं बाढ़ अतिवृष्टि कहीं पर
सड़कों पर भी नावें चलतीं,
नकली मुद्रा बाजारों में
आतंकी हरकत भी बढ़तीं !
लेकिन फिर भी अपना भारत
आगे ही बढ़ता है जाता,
दुनिया के मानचित्र पर नित
नयी-नयी पहचान बनाता !
लोककला या कला शास्त्रीय
कलाकार भारत के अनुपम,
गीत, नृत्य, संगीत, साहित्य
सभी क्षेत्रों में अति उत्तम !
वैज्ञानिक, शिक्षक, डॉक्टर भी
हो सम्मानित आदर पायें,
अर्थपति मिल दुनिया भर में
भारत का परचम लहरायें !
कहीं कहीं ही उन्नत राहें
कहीं अभी पगडंडी पिछड़ी,
करनी होगी मेहनत सबको
हैं चुनौतियाँ बहुत सी बड़ी !
आजादी की वर्षगाँठ पर
मिलकर हम यह शपथ लें आज,
हर व्यक्ति कुछ करे भारत हित
जाग उठे सारा यह समाज !
सुन्दर विचार, कुछ ना कुछ तो हम सभी को करना ही चाहिए देश के लिए!
जवाब देंहटाएंwww.mathurnilesh.blogspot.com
अनीता जी, धन्यवाद मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी करने के लिए, देश विभाजन के ज़िम्मेदार नेहरु जी और जिन्ना ही थे ये एक कटु सत्य है, और इस निर्णय के चलते गाँधी जी और नेहरु जी में भी मतभेद पैदा हो गया था, अगर विभाजन नहीं होता तो कभी इतना खून खराबा नहीं होता और शायद आज भी हिन्दू और मुसलमान भाईचारे से रहते, और विशाल भारत एक बहुत बड़ी शक्ति होता, नेहरु जी की आत्मकथा में आप को नेहरु जी का पक्ष ही पढने को मिलेगा! कुछ गलत लगे तो क्षमाप्रार्थी हूँ!
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