गुरुवार, अगस्त 26

एक मंजिल एक रस्ता

एक मंजिल एक रस्ता 

तुम्हीं से  मधुमास मेरा

तुम्हीं से  संसार है

तुम न हो तो व्यर्थ सारा, 

यह मधुर  श्रृंगार है !


मन अभी खिलने न पाया 

जब नया था यह सफर,

जिस घड़ी यह हाथ  थामा  

चल पड़े हम इस डगर !


सदा तब से इस हृदय को 

प्रेम का आधार है,

तुम न हो तो व्यर्थ सारा, 

यह मधुर  श्रृंगार है !


जिंदगी में ज्वार-भाटे, 

सरिता सुख-दुःख भरी,

धूप-छांव से हैं रस्ते, 

सूखतीं डालें हरी !


किन्तु रहता एक सा ही

बस तुम्हारा प्यार है,

तुम न हो तो व्यर्थ सारा

यह मधुर  श्रृंगार है !


एक मंजिल एक रस्ता 

एक ही अपना चल,

चाँदनी ओढ़ी बदन पर  

संग सूरज की तपन !


पुलकित  हो अधर कंपते, 

नयन में मनुहार है,

तुम न हो तो व्यर्थ सारा, 

यह मधुर  श्रृंगार है !



२६ अगस्त २०१०

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