एक मंजिल एक रस्ता
तुम्हीं से मधुमास मेरा
तुम्हीं से संसार है
तुम न हो तो व्यर्थ सारा,
यह मधुर श्रृंगार है !
मन अभी खिलने न पाया
जब नया था यह सफर,
जिस घड़ी यह हाथ थामा
चल पड़े हम इस डगर !
सदा तब से इस हृदय को
प्रेम का आधार है,
तुम न हो तो व्यर्थ सारा,
यह मधुर श्रृंगार है !
जिंदगी में ज्वार-भाटे,
सरिता सुख-दुःख भरी,
धूप-छांव से हैं रस्ते,
सूखतीं डालें हरी !
किन्तु रहता एक सा ही
बस तुम्हारा प्यार है,
तुम न हो तो व्यर्थ सारा
यह मधुर श्रृंगार है !
एक मंजिल एक रस्ता
एक ही अपना चल,
चाँदनी ओढ़ी बदन पर
संग सूरज की तपन !
पुलकित हो अधर कंपते,
नयन में मनुहार है,
तुम न हो तो व्यर्थ सारा,
यह मधुर श्रृंगार है !
२६ अगस्त २०१०
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