कृष्ण जन्माष्टमी
मथुरा रोयी होगी उस दिन, कृष्ण चले जब यमुना पार
जिस भूमि पर हुए अवतरित, न दे पायी उन्हें दुलार I
अभी तपस्या की बेला है, बारह वर्षों की प्रतीक्षा
लौट करेंगे कृष्ण किशोर, कंस कृत्य की समीक्षा I
अभी तो गोकुल जाते कान्हा, नन्द यशोदा को हर्षाने
ग्वालों, गैयों, संग खेलने, संग गोपियों रास रचाने I
माखन चोरी, मटकी तोड़ी, असुर-वध नित नयी लीला
मधुर वचन, बांसुरी वादन, ब्रज वासी कृष्ण रंगीला I
पलक झपकते बीता बचपन, मथुरा जाने का दिन आया
तड़पा हर ब्रज वासी का उर, नन्द यशोदा उर घबराया I
राधा की आँखें बरसीं विरह की पीड़ा थी भारी
अद्भुत थी कृष्ण की लीला, अब तक सृष्टि है वारी I
अनिता निहालानी
१ सितम्बर २०१०
sahi hai, gokul aur mathur ka antar aapne dikha diya. lekin mai samajhta hun wah aansu khusi ke honge kyoki use kashton se chhutkaara dilane wala, koi taranhaar aagaya tha us din. Swagat hai blog ki duniya me aapka.
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ...
कृपया एक बार पढ़कर टिपण्णी अवश्य दे
(आकाश से उत्पन्न किया जा सकता है गेहू ?!!)
http://oshotheone.blogspot.com/
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जवाब देंहटाएंशब्द पुष्टिकरण की क्या आवश्यकता है , कृपया इसे हटा दे
सबके मन में है छिपी प्रेम की धारा,जब करते हैं प्रेम कृष्ण से तो धारा बन जाती है राधा.
जवाब देंहटाएंkrishna prem si hi sundar hai apki kavita
जवाब देंहटाएंसंध्या जी, आपका स्वागत है ,कविता पढ़कर अपनी राय जाहिर करने के लिये आभार ! अन्य कविताएँ भी पढ़ें .
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