हे गणपति ! हे विघ्न विनाशक !
हे गणपति हम तुझे चाहते
तुझसे बस हम प्रेम मांगते,
जग करता तेरी आराधना
पूर्ण करे तू सबकी साधना !
ज्ञान का सागर विघ्न विनाशक
रिद्धि सिद्धि का तू है दाता,
तू अचिन्त्य, अव्यक्त, अविनाशी
है हमारी आत्मा गणेषा !
तू विशाल, निर्भय, गर्वीला
दर्शन तेरा शक्ति जगाता,
तेरे गुण अनुपम अनंत हैं
चेतनता को जगाए गनेशा !
बड़ी शान है, बड़ा दबदबा
हर बाधा को तू रौंदता,
आगे बढने का बल देता
तू है दयालु, विघ्न को हरता !
कर्ण विशाल तू सबकी सुनता
नयनों में असीम गहराई,
जो भी झांके इन नयनों में
प्रज्ञा उसकी भी जग आई !
छोटे-बड़े सभी हैं तेरे
तू जागृत सजग प्रहरी सा,
कोई प्रेम से बंधता तुझसे
दुर्जन को तेरा पाश बंधता !
नन्हा सा मूषक भी तेरा
मोदक है आनंद का रसमय,
तुझे समर्पित है तन-मन-धन
हे अनंत जग तुझको ध्याता !
गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंहे गणपति हम तुझे चाहते
जवाब देंहटाएंतुझसे बस हम प्रेम मांगते,
जग करता तेरी आराधना
पूर्ण करे तू सबकी साधना !....गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें
गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंईद की सिवैन्याँ, तीज का प्रसाद |
जवाब देंहटाएंगजानन चतुर्थी, हमारी फ़रियाद ||
आइये, घूम जाइए ||
http://charchamanch.blogspot.com/
गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंsame to you madam.
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