“इक काव्य रचा जाता है
पल पल इस सृष्टि में “
जाने कहाँ से आ रही
खुशबू रुहानी सी !
तन मन डुबोए जा रही
खुशबू सुहानी सी !
मदमस्त यह आलम हुआ
खुशबू है जानी सी !
नासपुटों में भर रही
खुशबू पुरानी सी !
जाने से पहले रख गया
खुशबू निशानी सी !
रग-रग में बहे रक्त सी
खुशबू रवानी सी !
यादों के तार छेड़ गयी
खुशबू कहानी सी !
आयी नहीं जब राह तकी
खुशबू है मानी सी !
बस खूशबू ही खूशबू बसी है ... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें
सुभानाल्लाह ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.. दीपावली की अनंत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंदिवाली की अनंत शुभकामनाएँ...
सादर |
बहुत सुंदर...आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, इमरान, माहेश्वरी जी, सुषमा जी, मंटू जी, कैलाश जी अप सभी का स्वागत व आभार !
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