प्रेम की सीढ़ी मन चढ़ता है
रेशमी ख्वाब बुनने हैं, रोशनी के गीत गुनने हैं
चांदनी चादर बिछा दो, फूल कुछ खास चुनने हैं
पांखुरी पांखुरी बोल रही है
कली ने सुगबुग ऑंखें खोलीं,
सज गयी बारात सुरभि ले
फूलों की ही सजी है डोली !
कमल नयन हैं जिसके सुंदर
कमल उसे भाते हैं मनहर,
मंदिर मंदिर कमल सजे हैं
कमल खिले हैं मन के भीतर !
गीत गूंजते मधुर निरंतर
नूर, नाद, अमृत भी बरसे,
हीरे, मोती, माणिक चमके
पल-पल द्युति अनुपम इक बरसे !
भीतर जब सूरज उगता है
प्रेम की सीढ़ी मन चढ़ता है,
झिलमिल ज्योत जिस दीये की
दिल के मंदिर में जलता है !
बहुत सुंदर रचना है .. ....आज ब्रहस्पत का गुरु प्रसाद .....शब्द शब्द मन आह्लादित कर गया .....!!
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी, इसी तरह गुरु प्रसाद बरसता रहे..आभार !
हटाएंभीतर जब सूरज उगता है ..... बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंरेशमी ख्वाब बुनने हैं, रोशनी के गीत गुनने हैं
जवाब देंहटाएंचांदनी चादर बिछा दो, फूल कुछ खास चुनने हैं
बहुत सुन्दर आगाज़ है .
पांखुरी पांखुरी बोल रही है
कली ने सुगबुग ऑंखें खोलीं,
सज गयी बारात सुरभि ले
फूलों की ही सजी है डोली !
काव्य सौन्दर्य के नए प्रतिमान रचें हैं आपने .
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंरेशमी ख्वाब बुनने हैं, रोशनी के गीत गुनने हैं
जवाब देंहटाएंचांदनी चादर बिछा दो, फूल कुछ खास चुनने हैं
वाह वाह बहुत सुन्दर ।
बेहतरीन! बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएं"भीतर जब सूरज उगता है
जवाब देंहटाएंप्रेम की सीढ़ी मन चढ़ता है,
झिलमिल ज्योत जिस दीये की
दिल के मंदिर में जलता है !"
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.....!
आपकी सारी रचनाएँ कहीं अंदर तक मन को छू जाती हैं....!!
संगीता जी, निलेश जी, पूनम जी, इमरान व रविकर जी बहुत बहुत स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंमन मगन हो तो -
जवाब देंहटाएं'गीत गूंजते मधुर निरंतर
नूर, नाद, अमृत भी बरसे,
हीरे, मोती, माणिक चमके
पल-पल द्युति अनुपम इक बरसे !'
अनहद के स्वर भीतर गूजने लगते हैं ,अनिता जी !
प्रतिभा जी, आपने सही कहा है..आभार!
हटाएंअति सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
भीतर जब सूरज उगता है
जवाब देंहटाएंप्रेम की सीढ़ी मन चढ़ता है,
झिलमिल ज्योत जिस दीये की
दिल के मंदिर में जलता है !
....बिल्कुल सच... बहुत सुंदर और गहन अभिव्यक्ति...आभार
मद के प्याले देखकर, बन जाते हैं गीत।
जवाब देंहटाएंजो इनकी भाषा पढ़े, वो ही है मनमीत।।
शास्त्री जी, आभार इस सुंदर दोहे के लिए...
हटाएंभीतर जब सूरज उगता है
जवाब देंहटाएंप्रेम की सीढ़ी मन चढ़ता है,
झिलमिल ज्योत जिस दीये की
दिल के मंदिर में जलता है !---वाह बहुत सुन्दर शब्द संयोजन और भाव बधाई अनीता जी इस सुन्दर रचना के लिए
रीना जी, कैलाश जी व राजेश जी, आप सभी का स्वागत व आभार !
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