शुक्रवार, नवंबर 9

सब घटता है सहज यहाँ


सब घटता है सहज यहाँ


रात ढली, दिन उगा
बोलो किसको श्रम हुआ,
हवा बही सुरभि लिए
बोलो किसने दाम दिए !

शिशु जन्मा, पांव चला
किसने उसको खड़ा किया,
कली खिली, पुष्प बना
किसने रंग उड़ेल दिया !

नदी बही, सिंधु मिला
किसने उसका मार्ग गढ़ा,
सलिल उठा, मेघ बना
किसने उसको गगन दिया !

सब घटता है सहज यहाँ
मात्र यहाँ होना होता है,
होने में भी श्रम न कोई
बस खुद को मिटना होता है !

मिटना भी तो सहज घटे
जीवन का रहस्य मृत्यु है,
उससे ही सौंदर्य मिलता
वही मात्र परम सत्य है !




17 टिप्‍पणियां:

  1. सब घटता है सहज यहाँ
    मात्र यहाँ होना होता है,
    होने में भी श्रम न कोई
    बस खुद को मिटना होता है !

    बहुत खूब....

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  2. सत्यम ....शिवम ....सुंदरम .... वही सत्य है॥

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  3. सब घटता है सहज यहाँ
    मात्र यहाँ होना होता है,
    होने में भी श्रम न कोई
    बस खुद को मिटना होता है !
    सही कहा

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  4. जीवन का यही क्रम है, और जीवन-दर्शन भी यही !

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  5. पूनम जी, वन्दना, प्रतिभा जी, अमृता जी, संगीता जी व पूनम जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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  6. बहुत ही सुन्दर अंतिम दोनों तो लाजवाब ।

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  7. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

    मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

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  8. बहुत सहजता से एक गूढ़ रहस्य का डाला अनीता जी...बहुत सुन्दर!

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  9. मिटना भी तो सहज घटे
    जीवन का रहस्य मृत्यु है,
    उससे ही सौंदर्य मिलता
    वही मात्र परम सत्य है !
    वाकई परम सत्य.......
    नीचे दिए लिंक पर जरूर आएं और अवगत कराएं.....
    http://veenakesur.blogspot.in/


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  10. ईश्वर ही सत्य है ....बहुत सही

    शुभकामनाएँ

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  11. इमरान, धीरेन्द्र जी, वीना जी, संध्या जी, अनु जी, मदन जी व प्रकाश जी आप सभी का स्वागत व आभार !

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