बुधवार, मार्च 22

मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश


मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश
१४ मार्च २०१७-आइजोल 

सुबह पौने छह बजे हम दुलियाजान-असम से रवाना हुए थे. सवा आठ बजे फ्लाईट डिब्रूगढ़ के मोहनबारी हवाईअड्डे से चली और पौने दस बजे कोलकाता पहुंची. जहाँ तीन घंटे प्रतीक्षा करने के बाद दोपहर एक बजे स्टारलाइंस-एयर इंडिया के विमान ने आइजोल के लिए उड़ान भरी. हवाईअड्डे पर कई मीजो लड़के-लडकियाँ थे, सभी काफी प्रसन्न, जरा उनसे नजरें मिलाओ तो मुस्कुराने को तैयार ! छोटी सी फ्लाईट थी लगभग पचास मिनट की, ऊपर से सैकड़ों मीलों तक फैली हरियाली से ढकी पर्वतों की श्रृंखलायें दिख रही थीं, एक के बाद एक पहाड़ों की चोटियाँ, घाटियाँ नहीं के बराबर. दोपहर दो बजे हम मिजोरम के लुंगपेई हवाईअड्डे पर पहुंचे, जहाँ कई सुंदर छोटे-छोटे बगीचे फूलों से भरे थे. 

बाहर निकले तो हर तरफ वृक्षों की कतारें. शहर से काफी दूर है हवाईअड्डा, लगभग सवा घंटा पहाड़ों के सान्निध्य में छोटी सी पतली सड़क पर यात्रा करने के बाद हम कम्पनी के गेस्ट हॉउस पहुंचे. रास्ते में बांसों के झुरमुट और फूल झाड़ू के पेड़ बहुतायत में दिखे. दो तीन जगह पिकनिक स्पॉट जाने के मार्ग बताते बोर्ड दिखे. यह हल्के हरे रंग से रंगी चार मंजिला इमारत है. स्वादिष्ट नाश्ता करके हम शहर घूमने निकले. पूरा शहर या कहें पूरा प्रदेश ही पहाड़ियों पर बसा है, सडकें ऊंची-नीची हैं, कहीं-कहीं तो खड़ी चढ़ाई है, लेकिन यहाँ के ड्राइवर इतने अभ्यस्त हैं कि ऐसी सडकों पर आराम से वाहन चला लेते हैं. हमने एक पारंपरिक मिजो ड्रेस खरीदी. यहाँ के लोग कुत्तों से बहुत प्रेम करते है. एक महिला को देखा स्कूटर पर एक कुत्ते को शाल में लपेटे ले जा रही थी, जैसे कोई अपने बच्चे को ले जाता है. याद आया, एक मिजो लडकी यात्रा में हमारे निकट बैठी थी, जो हैदराबाद में ब्यूटी पार्लर में काम करती है, अब छुट्टियों में घर जा रही थी. उसने बताया था, मिजोरम में कोई स्ट्रीट डॉग नहीं होता. सडकों पर महिलाएं और बच्चे ज्यादा नजर आ रहे थे, सभी प्रसन्न मुद्रा में.

१५ मार्च २०१७ – आइजोल

मिजोरम की हमारी यह पहली यात्रा है. इस प्रदेश के बारे में हम कितना कम जानते हैं, १९७२ में केंद्र शासित प्रदेश बनने से पूर्व यह असम का एक जिला था, फरवरी १९८७ में लंबे हिंसक संघर्ष के बाद भारत सरकार व मिज़ो नेशनल फ्रंट के मध्य समझौता होने पर यह भारत का तेइसवां राज्य घोषित किया गया. इसके पूर्व और दक्षिण में म्यांमार है तथा पश्चिम में बांग्लादेश. मिजोरम से उत्तर-पूर्व भारत के तीन राज्यों असम, मणिपुर तथा त्रिपुरा की सीमाएं भी मिलती हैं. प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर यह प्रदेश विभिन्न प्रजातियों के प्राणियों तथा वनस्पतियों से सम्पन्न हैं. इसी अनजाने प्रदेश के आठ जिलों में से एक लुंगलेई जिले में पेट्रोलियम पदार्थों की उपलब्धता का सर्वे करने के लिए भारत सरकार की और से विभिन्न सरकारी तेल कम्पनियों के अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. इसी कारण मुझे भी पतिदेव के साथ यहाँ आने का अवसर मिल गया है. मिजोरम का अर्थ है पहाड़ी प्रदेश के लोगों की भूमि ! यह प्रदेश जैसे भारत की मुख्य भूमि से बिलकुल अलग-थलग है. माना जाता है कि यहाँ के निवासी दक्षिण-पूर्व एशिया से सोलहवीं और अठाहरवीं शताब्दी में आये थे, बर्मा की संस्कृति का इन पर काफी प्रभाव है, देखने में भी यह उन जैसे लगते हैं. उन्नीसवीं शताब्दी में यहाँ ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फ़ैल गया. लगभग पचासी प्रतिशत लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व के लिए लोकसभा में यहाँ से केवल एक सीट है. विधान सभा में चालीस सदस्य हैं. 
क्रमशः

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