एक दीप बन राह दिखाए
अंतर दीप जलेगा जिस
पल
तोड़ तमस की कारा
काली,
पर्व ज्योति का सफल
तभी है
उर छाए अनन्त
उजियाली !
एक दीप बन राह
दिखाए
मन जुड़ जाए परम्
ज्योति से,
अंधकार की रहे
न रेखा
जगमग पथ पर बढ़े
खुशी से !
माटी का तन करे
उजाला
आत्मज्योति शक्ति
बन चमके,
नयन दीप्त हों
स्मित अधरों पर
शब्द-शब्द मोती सा
दमके !
जीवन सुधा अखण्ड
प्रवाहित
कण भर से ही सृष्टि
उमगती,
दामन थाम लिया
जिसने भी
बन जाता हर हृदय
सुख ज्योति !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ११७ वीं जयंती पर अमर शहीद अशफाक उल्ला खाँ को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
हटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी !
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द चमक रहा है जैसे मोती ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अमृता जी !
हटाएं👌अंतर दीप जलेगा जिस पल
जवाब देंहटाएंतोड़ तमस की कारा काली....बहुत सुंदर पंक्तियां लिखी हैं आपने अनिता जी👌
स्वागत व आभार शकुंतला जी !
हटाएंउर में अनत दीप जलने की चाह और प्रक्रिया जितना आसान लगती है उतन कहाँ होती है ... सतत प्रवाह दीपों का बना रहे और मन उजियारा हो जाये इस दीपावली यही कामना है ... दीप पर्व की बधाई ...
जवाब देंहटाएंसरल न भी हो तो भी असम्भव तो नहीं.. सम्पूर्ण प्राणी जगत में मात्र मानव के लिए ही यह सम्भव है...
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