गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें
देश अपना फले-फूले
संस्कृति अद्धभुत यहाँ की
सृष्टि के नव राज खोले,
पूर्वजों ने दी विरासत
वेद की हर ऋचा बोले !
धर्म के पथ पर चलें सब
अर्थ का भंडार भर लें,
कामना भी पूर्ण होगी
मोक्ष का भी स्वाद चख लें !
पांव धरती पर टिके हों
भाव जिसके गगन छू लें,
सृष्टि कण-कण से जुड़े रह
मर्म जीवन का समझ ले !
सम रहे जो धीर वह है
लक्ष्य साधे वीर वह है,
जीत का ही स्वर सुनाई
दे रहा हर कोण से है !
जन्म से कोई न ब्राह्मण
कर्म ही यह तय करेगा,
परम भी यदि अवतरित हो
कर्म का वह फल भरेगा !
अमर ऐसा देश अपना
नभ की ऊँचाई छू ले,
गा रहा हर देशवासी
देश अपना फले-फूले !
जन्म से कोई न ब्राह्मण
जवाब देंहटाएंकर्म ही यह तय करेगा,
परम भी यदि अवतरित हो
कर्म का वह फल भरेगा !
अमर ऐसा देश अपना
नभ की ऊँचाई छू ले,
गा रहा हर देशवासी
देश अपना फले-फूले !
बहुत सुंदर देशप्रेम से ओतप्रोत रचना।
स्वागत व आभार ज्योति जी !
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