बुधवार, फ़रवरी 5

मेरा भारत महान

मेरा भारत महान मत कहें स्वयं को देशभक्त कायर हैं हम अपमान सहकर उदासीन होने की आदत हो गयी है हमें हजार वर्षों की गुलामी ने पंगु बना दिया है हमारी सोच को विदेशी ताकतों ने देश पर ही राज नहीं किया हमारी चेतना पर भी राज किया जो या तो निर्लिप्त है या अनभिज्ञ होने का स्वांग रचती है हमें जगाया शंकराचार्य ने, स्वामी दयानन्द ने हम कहाँ जागे हुंकार भरी स्वामी विवेकानन्द ने हमने तब भी यकीन नहीं किया आज भी जगाया जा रहा है हम इधर-उधर ताकने लगते हैं शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन दबाकर सोचते हैं हम सुरक्षित हैं हम प्रेम तो कर ही नहीं सकते नफरत भी हमें नहीं आती अहिंसा के आवरण में अपनी कायरता को छिपाये हम सिनेमा हाल में राष्ट्रगान गा लेने को ही देश भक्ति समझ लेते हैं !

6 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-02-2020) को "गमों के बोझ का साया बहुत घनेरा "(चर्चा अंक - 3604) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है ….
    अनीता लागुरी 'अनु '

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  2. आपकी बातें बिल्कुल सत्य है जय हिंद जय भारत

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  3. सुंदर...... सटीक बात कही आपने ,सादर नमन आपको

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