गुरुवार, जून 30

खुशबू निशानी सी

खुशबू निशानी सी

जाने कहाँ से आ रही
खुशबू रुहानी सी !

तन मन डुबोए जा रही
खुशबू सुहानी सी !

मदमस्त यह आलम हुआ
खुशबू  अजानी सी !

नासपुटों में समा रही
खुशबू पुरानी सी !

जाने से पूर्व  रख गया
खुशबू निशानी सी !

रग-रग में बहे रक्त सी
खुशबू रवानी सी !

सुरति के तार छेड़ गयी
खुशबू कहानी सी !

आयी नहीं राहें तकी
खुशबू न मानी सी !

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