तू सबब है यहाँ
हर घड़ी ख़ास है
तू मेरे पास है,
भर रहा नित नयी
हृदय में आस है !
तुझको देखा नहीं
पर बता तो सही,
प्रीत की धार यह
बिन मिले ही बही !
तू सबब है यहाँ
जगत सजदा करे,
हे माया पति
रच दे पल में जहाँ,
कोई जाने नहीं
तू ही सबमें छिपा,
खुद को पा कर बँधा
नित छुड़ा ही रहा !
मन हुआ क़ैद हैं
अपने ही जाल में,
कैसे छोड़ेगा तू
हमें निज हाल में !
इल्म देता हुआ
सदा रस्ता दिखा,
ले चले है हमें
प्यारा रहबर ख़ुदा !
तुझको देखा नहीं
जवाब देंहटाएंपर बता तो सही,
प्रीत की धार यह
बिन मिले ही बही
वाह!!!
अद्भुत🙏🙏🙏
आस्था और विश्वास उस के प्रति हरपल यही अहसास देता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव प्रवणता।
वाह!अनीता जी ,बहुत खूब ! आस्था की डोर में बंधे हम ,बिन देखे ही ,उसके होने का अहसास कर लेते हैं व
जवाब देंहटाएंअति सुंदर भावपूर्ण सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर।
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम , बहुत सुंदर प्यारी सी रचना । ईश्वर इस संसार के कण- कण में और हमारे हृदय में सदैव वास करते हैं और अपनी करुणा से हम सब की रक्षा और हम सब का मार्गदर्शन करते हैं । सादर प्रणाम एवं आभार।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही खूबसूरत भावभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजीवन संदर्भ पर गहन दृष्टि डालती सुंदर और पवन रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसुधा जी, कुसुम जी, शुभा जी, श्वेता जी, ओंकार जी, अनंता जी, पल्लवी जी, जिज्ञासा जी, और ज्योति जी आप सभी का हृदय से स्वागत व आभार!!
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