शनिवार, फ़रवरी 24

आर्टिकल ३७०


आर्टिकल ३७० 

 रक्त रंजित था जब कश्मीर 

थमा दिये गये थे पत्थर 

बच्चों-युवाओं के हाथों में 

जो अपने ही वतन के रक्षकों को 

निशाना बनाते थे 

जब चंद लोग निज स्वार्थ की ख़ातिर 

सरहद पार से जा मिले थे 

और उनके नापाक इरादों को 

यहाँ अंजाम देने के मंसूबे पालते थे 

जहन्नुम बना रहे थे जो जन्नत को 

ऐसे में एक जाँबाज़ कश्मीरी लड़की 

और पीएमओ की एक देशभक्त महिला 

उस सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाती  हैं 

जो किसी ने बरसों पूर्व देखा था 

आर्टिकल ३७० को हटाने का सपना 

जो कब का हो चुका होता पूरा 

यदि  आड़े न आये होते 

कुछ लोभी राजनेता

कितनी क़ुर्बानियाँ देकर उसे हटाया गया 

एक भटके हुए बेटे को जैसे 

घर वापस लाया गया 

जिसने बना दिया था बेगाना 

अपने ही वतन के एक हिस्से को 

यह फ़िल्म उसी की कहानी है 

जो हर दुनिया के हर नागरिक को सुनानी है 

कश्मीर अब आगे बढ़ रहा है 

हाथ में हाथ डाले भारत के सभी राज्यों के 

तरक़्क़ी की सीढ़ियाँ चढ़ रहा है 

लाल चौक पर तिरंगा लहराता है 

प्रेम कश्मीरियों के दिल में जगाता है ! 


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