सोमवार, नवंबर 22

आत्मा का गीत

आत्मा का गीत

तन के भीतर, मन मंदिर में
मन मंदिर के गहन कक्ष में,
गहन कक्ष के बंद द्वार हैं
बंद द्वार के पीछे सोयी I

कोमल, सुंदर, विमल आत्मा !

हौले से मन मंदिर जाना
गहन कक्ष के द्वारे थमना,
बंद कपाटों को खुलवाना
बड़े स्नेह से उसे जगाना I

वहीं मिलेगी मधुर आत्मा !

मिलते ही हर दुःख हर लेगी
सौगातों से उर भर देगी,
सारे जग का प्यार समेटे
मन में या नयन में रहेगी I

जन्मों की है मीत आत्मा !

अनिता निहालानी
२२ नवम्बर२०१०

7 टिप्‍पणियां:

  1. मन मंदिर के द्वार खोल ही आत्मा मिल सकती है ..बहुत अच्छी रचना ..

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  2. man ko behad bhaya ye man madir aur rehne vali vimal aatam.. kavita kee atmaa behad shuddh hai.. sundar rachna..

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  3. अनीता जी,

    वाह....सुभानाल्लाह........ इस कविता के बारे में कहने के लिए और शब्द नहीं हैं मेरे पास ....मेरा मौन ही मेरी आत्मा की तृप्ति को बयां कर देगा.....बहुत सुन्दर|

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  4. अनीता जी,

    वाह...सच कहूँ तो मुँशी प्रेमचंद और खलील जिब्रान के विचारों को सही ढंग से तो आप ही समझ पाती हैं.....जिसने रौशनी को महसूस किया हो वही उसके वजूद को बयां कर सकता है....अंधेरों में रहने वाले रौशनी को देख कर भी नहीं देख पाते ....शुक्रिया आपका|

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  5. मिलते ही हर दुःख हर लेगी
    सौगातों से उर भर देगी,
    सारे जग का प्यार समेटे
    मन में या नयन में रहेगी I
    kya gahan arth hai

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  6. मिलते ही हर दुःख हर लेगी
    सौगातों से उर भर देगी,
    सारे जग का प्यार समेटे
    मन में या नयन में रहेगी I
    जन्मों की है मीत आत्मा !
    ....आत्मा के सुन्दर स्वरुप का सुन्दर आत्मावलोकन करती मनोभावों की प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.. आभार

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  7. आप सभी का स्वागत व अभिनन्दन आत्मा के इस सफर में, जो हर मानव की नियति है, एक महासुखमय नियति !

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