दीवाली के दीपक
दिलों को भी रोशन किया चाहते हैं !
मिटी कालिमा रात जगमग हुई ज्यों,
ज्ञान दीपक हृदय में बसा चाहते हैं !
श्रद्धा जहाँ गहरी रच–बस गयी हो,
दीये उस उर में रहा चाहते हैं !
जल उठी जिस तरह लौ से लौ झूम कर,
उजाले दिलों के बहा चाहते हैं !
जहाँ स्वच्छता हो वहीं वास सुख का,
दीवाली के दीपक कहा चाहते हैं !
अनिता निहालानी
३ नवम्बर २०१०
अनीता जी,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सुन्दर कविता ...आपके अपने अंदाज़ में दीपावली पर ये कविता पसंद आई.....
"उजाला बिखेरा धरा पर दियों ने, दिलों को भी रोशन किया चाहते हैं !
काश ऐसा ही हो दीयों की तरह दिल भी रोशन हो जाएँ सबके........आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें|
बहुत सुन्दर भावों से सजी सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएं
गौर वर्ण का प्यारा दीपक, कजरी मन को भाये दीपक,
जवाब देंहटाएंबैठी काजल कंचन के ऊपर, स्नेह डोर से बंधा है दीपक.
चौकठ पर पहरेदार है दीपक, प्रवेश द्वार लहराए दीपक,
आंधी और तूफ़ान में देखो, साहस खूब दिखाए दीपक.
बहुत सुन्दर, दीपावली की शुभकामना!
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...
आप सबको भी दीपावली की ढेरों शुभकामनायें! डाक्टर तिवारी जी, आप की कविता बहुत सुंदर है, छोटा सा दिया कितने राज अपने भीतर छिपाए है, बस देखने वाली नजर चाहिए .... .
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाओं के साथ इस प्यारी रचना के लिए ढेरों बधाई ...
जवाब देंहटाएंअब तो अच्छी दीवाली मनेगी ..
diwali ki shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना। बधाई।आपको व आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
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