बुधवार, अप्रैल 18

पता है


पता है




पता है

 वही श्वास ले रहा है
हमारे, तुम्हारे, सबके शरीरों द्वारा
वही धड़क रहा है...

अस्तित्त्व भर लेता है खुद को  
जब हम छोड़ते हैं श्वास
और रिक्त होता है हमारे भरने पर...

पता है ?

यह सारा ब्रह्मांड उसकी देह है
वह जीवित है अनंत प्राणियों की देहों से
वही झांकता है कण-कण से
वही जो रेश-रेशे में भीगा है जीवन रस से !

हर कोशिका परमात्मा रूपी स्वर्ण पर जड़ा हीरा है
जिस पर वक्त की परतें जम गयी हैं
वह हरेक को देता है अवसर
जब वह हमारे द्वारा श्वास लेता है ! 








11 टिप्‍पणियां:

  1. अस्तित्त्व भर लेता है खुद को
    जब हम छोड़ते हैं श्वास
    और रिक्त होता है हमारे भरने पर...

    bahut hi sundar

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  2. सर्वोच्च सत्ता को पल-पल प्रणाम ।

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  3. वह सर्वव्यापी है अनादी है अनंत है ... सुन्दर भावपूर्ण रचना ...आभार आपका....

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  4. हाँ वो तुझमे है...मुझमें है...उसमें है..........

    बहुत सुंदर जीवन दर्शन अनीता जी.

    सादर.

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  5. सुंदर जीवन दर्शन अनादी सर्व-व्यापी को प्रणाम ।

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