सोमवार, जुलाई 23

पल में लय को न साधा तो


पल में लय को न साधा तो


वर्तमान है सत्य अनोखा
सूक्ष्म अति मृदु कोमल रेखा,
इसी घड़ी में शुभ घटता है
इस पल में अनंत को देखा !

मृत्यु भी इक पल में घटती
इक क्षण में ही जन्म हुआ,
सजग हुआ जो ठहरे इसमें
अद्भुत उसको दर्श मिला !

लहरें पल-पल तट पर आतीं
चूक हुई तो लौट गयी वें,
पल में लय को न साधा तो
टूट गयी धुन हुए बेसुरे !

हल क्षण घटता है कितना कुछ
पल-पल तन मन नया हो रहा,
कहीं उग रहे पुष्प हजारों
कहीं पे पतझड़ जवां हो रहा !

पल की शक्ति कैसी अद्भुत
पल में है संदेश पहुंचता,
दिल से दिल की बात हुई है
इक पल में क्या कुछ न होता !


10 टिप्‍पणियां:

  1. मृत्यु भी इक पल में घटती

    इक क्षण में ही जन्म हुआ,

    सजग हुआ जो ठहरे इसमें

    अद्भुत उसको दर्श मिला !

    पल में ही बहुत कुछ घटित हो जाता है ॥सुंदर प्रस्तुति

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  2. जी सच है, बड़ी शक्ति है इस एक पल में, एक पल में ना जाने क्या-क्या घट जाता है... सारगर्भित रचना... आभार

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  3. सच कहा हर पल कुछ न कुछ घटित होता रहता है..सुन्दर ...

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  4. प्रत्येक पंक्ति सत्य और सुन्दर।

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  5. pal to bahut hi mahtvapurn hai jivan me jise ham yadon me bhi sahej kar rakhte hai .............bahut sundar

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  6. Waah Anita Ma'am, maan gaye...ik-ik pal k mahtava ko koi aapke sabdo se jaane.

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  7. पल पल की महत्ता दर्शाती हुई उत्कृष्ट रचना ...
    सच में हर पल महत्वपूर्ण है ...

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  8. सार्थक बात कही है आपने .आभार

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  9. संगीता जी, संध्या जी, इमरान, माहेश्वरी जी, संध्या तिवारी जी, शिवनाथ जी, शिखा जी, रिशव जी, आप सभी का बहुत बहुत स्वागत व आभार!

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  10. इसी घड़ी में शुभ घटता है
    इस पल में अनंत को देखा.....बहुत खूब
    शायद यही तो जीवन की सबसे बड़ी खूबसूरती है

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