रोशन रूह को करने का
लो आया फिर पाक महीना
रहमत अल्लाह की पाने,
जीवन में लाकर अनुशासन
बरकत हर घर में लाने !
लाया है रमजान महीना
एक और मौका खिदमत का,
देह को पीछे रख कुछ दिन
रोशन रूह को करने का !
दुनिया रोशन होती आयी
सदा खुदा के बन्दों से,
इक जरिया है शुभ रमजान
कैसे प्रेम जताएं उनसे !
रहमत सदा बरसती आयी
इंसा ही उलझा रहता,
अब खाली होकर जो बैठे
झोली झोली नूर बरसता !
जिम्मेदारी जो भी अपनी
उसकी याद दिलाता है
जिनको जो भी कमी खटकती
औरों से दिलवाता है !
दान, धर्म को दे बढ़ावा
रोजा करता है तन हल्का,
हैं इसकी हजार नेमतें
तोबा करने से मन हल्का !
रहमत सदा बरसती आयी
जवाब देंहटाएंइंसा ही उलझा रहता,
अब खाली होकर जो बैठे
झोली झोली नूर बरसता !
लाया है रमजान महीना
एक और मौका खिदमत का,
देह को पीछे रख कुछ दिन
रोशन रूह को करने का !
बहुत ही सुंदर ...
शुभकामनाएँ !!
मेरी भी रूह रोशन हुई ...सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंहैं इसकी हजार नेमतें
जवाब देंहटाएंतोबा करने से मन हल्का !
बहुत सुंदर प्रस्तुति ...अनीता जी ...!!
बहुत सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .आभार हमें आप पर गर्व है कैप्टेन लक्ष्मी सहगल
जवाब देंहटाएंलाया है रमजान महीना
जवाब देंहटाएंएक और मौका खिदमत का,
देह को पीछे रख कुछ दिन
रोशन रूह को करने का !
सुन्दर....
शिवनाथ जी, संतोष कुमार जी, शालिनी जी, पूनम जी, व अनुपमा जी आप सभी का स्वागत व आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से आपने रमजान का ज़िक्र किया है......रमजान मुबारक।
जवाब देंहटाएंइमरान, आपको भी रमजान मुबारक !
हटाएंइस पाक महीने को आपने इस रचना में बहुत ही विलक्षण तरीक़े से उसकी सारी खूबियों के साथ समाहित किया है}
जवाब देंहटाएंमनोज जी, बहुत बहुत आभार ! आजकल अखबारों में लगभग रोज ही रमजान के बारे में कोई न कोई बात होती है, मुझे भी इससे कुछ कहने की प्रेरणा हुई.
हटाएंखिदमत का मौका जाया नहीं जाना चाहिए..हम भी कर रहे हैं..सुन्दर लिखा है..
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