खामोश, ख़ामोशी और हम के अगले कवि हैं, शिक्षा और
पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर श्री रजनीश तिवारी, तिवारी जी को लेखन
के साथ फोटोग्राफी भी भाती है, इस संकलन में इनकी छह कवितायें हैं.
सभी जीवन के विविध
रंगों को उजागर करती हैं.
पहली कविता एक
बूंद में कवि सुबह सवेरे ओस की एक बूंद को देखकर हुई अनुभूति को
व्यक्त करता है, जीवन का एक रहस्य जैसे वह बूंद परत दर परत खोलती जाती है.
एक बूंद
ओस की इक बूंद
जमकर घास पर
सुबह सुबह
मोती हो गयी
...
..
फिर वो बूंद
सूरज की किरणों
पर बैठ उड़ गयी
..
कुछ पलों का जीवन
और दिल पर ताजगी भरी
नमकीन अमिट छाप
एक बूंद छोड़ गयी
..
एक बूंद में होता है
सागर
..
भरा होता है एक बूंद
में
दर्द जमाने भर का
..
प्यार की एक बूंद का
नशा उतरता नहीं
..
एक बूंद जिंदगी बना
देती है
बूंद-बूंद चखो जाम
जिंदगी का
बूंद बूंद जियो
जिंदगी
जीवन में लोग अक्सर
धोखा खाते हैं, क्योंकि मानव जो है वह उसे स्वीकार नहीं जो होना चाहता है, वही
दिखाने का प्रयास उसे छल करने पर विवश कर देता है, इसी कटु सच्चाई को बयान करती है
दूसरी कविता छलावा
छलावा
तुम्हें जो खारा
लगता है
वो सादा पानी होता
है
... ..
मेरे आंसू क्या
सस्ते हैं
जो गैरों के दर्द पर
रोयें
दिल नहीं दिखावा है
वही भीतर से रोता है
...
परेशान खुद से ही
हूँ मैं
तुम्हारी सुध मैं
कैसे लूँ
मुझे फुर्सत कहाँ,
तुम्हारी
तकलीफों पर मैं रोऊँ
होता वो नहीं हरदम
नजरों से जो दिखता
है
..
खुद को दोष क्या दूँ
मैं
शिकायत क्या करूं
तेरी
मुझे हर कोई मुझ
जैसा
खुद में खोया लगता
है
सपने देखना किसे
नहीं भाता, कुछ तो सारा जीवन सपनों को देखने में ही बिता देते हैं..कवि ने सपनों
का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया है सपनों का हिसाब-किताब नामक कविता में-
सपनों का हिसाब-किताब
कल रात बैठा लेकर
सपनों का
हिसाब-किताब
अरमान, तमन्नाएँ,
सपने
और हासिल का कच्चा
चिट्ठा लिए
सोचता रहा कहाँ खर्च
किया
पल दर पल खुद को
....
न जाने कितने पन्ने
भरे मिले
सपने में ही जीने की
दास्ताँ लिए
...
कई मौसम चले गए
टूटे बिखरे सपनों को
समेटने में
.. ..
कई बार आंधी-तूफान
और बारिश में
सपनों की पोटली सम्हालने
और बचाने में वक्त
लगा
...
न जाने कितनी बार बाढ़
में
सपनों को दबाए हुए
बगल में
मीलों और बरसों बहता
रहा हूँ
... ...
कई बार ऊब भी हुई है
सपनों से
तब गठरी छोड़ कर बस
की खिडकी से
नीले अनंत आसमान में
देखने का दिल किया
...
तैयारी या इंतजार
में रहे अक्सर
और हर बार कुछ पल ही
जिए
सपनों को सच होता
देखते
हाँ, सपनों का खाता
खत्म न हुआ
स्मृतियों को बार
बार जीना मानव का स्वभाव है, सजीव या निर्जीव जिनसे उसका नाता रहा हो उसकी यादों
में वह जिन्दा रहता है, कुछ ऐसा ही अनुभव कवि करता है दिल का रिश्ता में
दिल का रिश्ता
आज छूकर देखा
कुछ पुरानी दीवारों
को
..
आज एक पुराने फर्श
पर
फैली धूल पर चला
उस परत के नीचे
अब भी मौजूद थे
मेरे चलने के निशान
...
किये साफ कुछ
वीरानगी के दाग
बिखरे हिस्सों को
समेटा
...
जी उठी दीवार
साँस लेने लगी जमीन
..
खट्टी-मीठी यादों की
गंध
फ़ैल गयी हर कोने
दिल का रिश्ता
सिर्फ दिल से ही
नहीं
दीवारों से भी होता
है
जीवन विरोधी मूल्यों
से बना है, काले की पृष्ठ भूमि पर ही सफेद उभर कर आता है, कवि का होना इन्हीं
विरोधी भावों पर आधारित है, अपना परिचय देते समय वह एक साथ शांति का सागर और
ज्वालामुखी दोनों होना स्वीकारता है
परिचय
पर्वत मैं हूँ
स्वाभिमान का
मैं प्रेम का
महासमुद्र हूँ
मैं जंगल हूँ
भावनाओं का
एकाकी मरुथल हूँ
मैं,
... ...
हूँ घाट एक रहस्यों
का
संबंधों का महानगर
हूँ मैं
झील हूँ मैं एक
शांति की
मैं उद्वेगों का
ज्वालामुख हूँ
.. ..
हूँ गुफा एक वासनाओं
की
भयाक्रांत वनचर हूँ
मैं
दावानल हूँ
विनाशकारी
मैं शीतल मंद बयार
हूँ
..
हूँ इस प्रकृति का
एक अंश
सूक्ष्म, तुच्छ
मनुष्य हूँ मैं,
कशमकश में कवि अपने लिखने की
विभिन्न मुद्राओं को अंकित करता जाता है, हर रचनाकार की तरह वह समझ नहीं पाता कभी
चाहने पर भी पंक्ति उतरने से इंकार करती है और कभी सहज ही लेखन घटता है
कशमकश
कभी विचार करते हैं
क्रन्दन
और फिर मैं लिखता
हूँ
... ..
कभी लिखता हूँ तो
कुछ उतरता नहीं ख्यालों में
..
मैं कभी महसूस करता
हूँ
किसी क्षण का कंपन
...
कभी चलती है कलम
बिना किसी झंकार के
..
कभी लिखते हुए महसूस
होता है स्याही का नृत्य
..
कभी जो सोच में घटता
है, अहसास में नहीं होता
कभी अहसास का चेहरा
ही नहीं पढ़ा जाता
... ...
कभी सोच, सिर्फ सोच
रह जाती है संवेदना शून्य
...
कभी सोचता हूँ कुछ,
लिख जाता हूँ कुछ और
...
कभी लाइनें ही टकरा
जाती हैं आपस में
लड़ बैठती हैं और
शब्द भाग जाते हैं
इसी कशमकश में रोज
किसी कविता का करता
हूँ नामकरण
या फिर उसे देता हूँ
मुखाग्नि
कवि रजनीश तिवारी जी
की कविताएँ काव्य का सुखद अनुभव तो कराती ही हैं, जीवन की सच्चाइयों से भी रूबरू
कराती हैं, जीवन सूत्रों को प्रस्तुत करती हैं. आशा है आप सभी सुधी पाठक गण भी
इनका रसास्वादन कर आनन्दित होंगे. इनके ब्लॉग का नाम है रजनीश का ब्लॉग-
http://rajneesh-tiwari.blogspot.com
इनका इमेल पता है- rajneeshtiwari@live.in
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
जवाब देंहटाएंराजेश जी, बहुत बहुत आभार!
हटाएंसुन्दर प्रयास करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
जवाब देंहटाएंशालिनी जी, स्वागत व आभार !
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