प्रिय मित्रों,
नए वर्ष में यह पहली रचना पोस्ट कर रही हूँ, इस उम्मीद के साथ कि समय बदलेगा, जो अँधेरा आज छा गया है, छंटेगा, यह बदलाव हमें और आपको ही लाना है, महिलाओं को सम्मान पूर्वक निर्भय होकर जीने का हक है और यह अधिकार उनसे कोई नहीं छीन सकता, समाज को अपनी गलत सोच को बदलना ही होगा. दृढ विश्वास ही हमें सफल करेगा. आप सभी को इस नए वर्ष के लिए हार्दिक शुभकामनायें...
वही तो हर राह है
इक तिलस्मी ख्वाब गाह है
वह जो हर दिल की चाह है !
चाह ही तो बाँधती है
वरना वही तो हर राह है !
कुछ नहीं हम, कह रह वे
फिर आती कहाँ से आह है !
संशय बना है ईंधन
बुझती नहीं जो दाह है !
उजाले घेर ही लेते
मिलती अगर पनाह है !
उजाले घेर ही लेते
जवाब देंहटाएंमिलती अगर पनाह है !
वाह बहुत खूब..
यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा शहरे-हवस
जी हाँ सही बात है. जहाँ चाह हो, वहां राह है ... सार्थक रचना...आभार
जवाब देंहटाएंसही कहा अनीता जी बदलाव हमें और आपको ही लाना है.........नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंअच्छी बात से शुरुआत की है अपने नए साल की ... बदलना होगा सभी को .. झांकना होगा अपने अंदर ...
जवाब देंहटाएंअओको २०१३ मंगलमय हो ...
रोहितास जी, संध्या जी, इमरान व दिगम्बर जी आप सभी का स्वागत व आभार !नए वर्ष के लिए मंगलकामनाएँ !
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