गणतन्त्र
भारत एक स्वप्न है
परमात्मा का...
युगों पूर्व देखा गया
गणदेवता, गणपति व
स्वप्न गणनायक का.. !
जहाँ समानता हो
स्त्री और पुरुष में
निर्धारित हों भले ही
अधिकार क्षेत्र उनके !
भय नहीं प्रेम जहाँ
राज्य करे दिलों पर
न हो सम्मानित कोई अन्यायी
कभी भारत भू पर !
संवेदनाएं फलें फूलें
शुभता हो जागृत
ऐसी जहाँ हवा चले
हर जीवन का हो स्वागत !
विकास नित मूल्यों का
रचे जाएँ मानवता के कीर्तिमान
धन नहीं, ज्ञान का हो सम्मान !
विश्वगुरु भारत बने
पथप्रदर्शक, ज्योति दीपक
आत्मा में रत रहे !
हो लक्ष्मी जहाँ हर गृह स्वामिनी..
जिए अपनी गरिमा में
अधिकार हो अपने तन पर
हर स्त्री को, अपनी कोख पर
इस स्वप्न को हमें सत्य बनाना है
सेवा और त्याग को
फिर से जिलाना है
सादगी को अपनाना है
तभी सत्य होगा यह स्वप्न
तभी गणतन्त्र बनेगा भारत !
शुभ भाव से प्रेरित रचना ,जन मन की रचना ,आकांक्षा यही है गणतंत्र से अपेक्षा भी यही है . मुबारक ईद मिलादुल नबी ,गणतंत्र दिवस जैसा भी है है तो हमारा हम बदलें इसके निजाम को न रहें तमाशाई .
जवाब देंहटाएंआशावादी चितन..
हटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआपको भी..आभार!
हटाएंबहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें!!
परमात्मा का स्वप्न साकार होते देखे हम.आमीन..
जवाब देंहटाएंदेखेंगे ही..जो भी चाहेंगे..
हटाएंबहुत सुंदर रचना .... गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपको भी शुभकामनायें...आभार संगीता जी !
हटाएंसेवा और त्याग को
जवाब देंहटाएंफिर से जिलाना है
सादगी को अपनाना है
तभी सत्य होगा यह स्वप्न
तभी गणतन्त्र बनेगा भारत !
सुंदर प्रस्तुति.
६४ वें गणतंत्र दिवस पर शुभकानाएं और बधाइयाँ.
रचना जी, बिना त्याग के कोई भी प्रगति सम्भव नहीं है..आपको भी मुबारक हो गणतन्त्र दिवस !
हटाएंयह लड़ाई राष्ट्रवादियों और राष्ट्रघातियों के बीच में है .राष्ट्रघाती सेकुलर होने का छद्म आवरण ओढ़े हुए हैं यही उनकी पहचान है .अगर कहीं कोई अपने आपको सेकुलर कहता मिल जाए तो उसकी
जवाब देंहटाएंकैफियत पहचान लीजिएगा .