शुक्रवार, मार्च 3

हर भारतवासी देश भक्त है


हर भारतवासी देश भक्त है 

हर फूल अनोखा है बगिया में 
 निज रंग और गंध लुटाता हुआ अपने तरीके से 
हर पंछी गाता है अपनी ही धुन में  

 प्यार का इजहार भी करता है 
तो हर कोईअपनी तरह से 
अपनी माँ को पुकारने का हर बच्चे का 
निजी तरीका है 
कोई नहीं कह सकता 
यही एक मात्र सलीका है 

विभिन्नता में एकता देख लेते हैं हम 
अद्वैत की हवा में जीते आये हैं हम 
उस भारत में क्यों आज दिल तंग हुए 
बेवजह ही अपनों से हम रंज हुए 
निज मत रखने का है हर किसी को अधिकार 
मेल-मोहब्बत ही है भारत के भारत होने का आधार !

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जमशेद जी टाटा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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    1. स्वागत व बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !

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  2. भारत भूमि विशाल है ... सब को समाहित करती है ...

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