बुधवार, फ़रवरी 10

शरण गए बिन बात न बनती

शरण गए बिन बात न बनती 


अंधकार मन का जो हरता 

ज्ञान मोतियों से उर भरता 

उसकी महिमा कही न जाती 

गुरुद्वार पर भीड़ उमड़ती 

शरण गए बिन बात न बनती 


शरण गए बिन बात न बनती !


हर पीड़ा का कारण जाने 

भीतर बाहर वह पहचाने 

परम सत्य तक खुद ले जाता 

उसके निकट अभय मन पाता 

आँखों से शुभ कृपा झलकती 


शरण गए बिन बात न बनती !


अहम आवरण वही गिराए 

सहज ही सुख राह पर लाये 

एक आस विश्वास वही है 

उससे दिल की बात कही है 

वरना कौन सहारा  जग में 

किसी ठौर नहीं मुक्ति आती 


शरण गए बिन बात न बनती !



 

17 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज बुधवार 10 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जगत नियन्ता के प्रति आस्था जगाती सुन्दर रचना।

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  3. एक वही है जिस पर विश्वास हमें ना-उम्मीदी से उम्मीद की सकारात्मकता की ओर ले जाता है।

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    1. यह विश्वास जब तक पास है तब तक जगत की कोई बाधा हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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  5. परम सत्य तक खुद ले जाता

    उसके निकट अभय मन पाता

    आँखों से शुभ कृपा झलकती


    शरण गए बिन बात न बनती !
    बहुत सुंदर..

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  6. अहम आवरण वही गिराए

    सहज ही सुख राह पर लाये

    एक आस विश्वास वही है

    उससे दिल की बात कही है

    वरना कौन सहारा जग में

    किसी ठौर नहीं मुक्ति आती
    ..बहुत सुन्दर..आलोक बिखेरती, आध्यात्मिक रचना..


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  7. अहम आवरण वही गिराए
    सहज ही सुख राह पर लाये
    एक आस विश्वास वही है
    उससे दिल की बात कही है
    वरना कौन सहारा जग में
    किसी ठौर नहीं मुक्ति आती

    शरण गए बिन बात न बनती !
    सुन्दर।

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  8. शरण में इंसान जब जाता है तो स्वयं का अहम् ख़त्म हो जाता है ... और अगर इंसान ऐसा कर सके तो सीधा सम्बन्ध आत्मा से परात्मा स रहता है ...

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