कहना - सुनना
वह जो मेरे भीतर बोलता है
वही तुम्हारे भीतर सुनता है
कहा था आँखों में आखें डाल के किसी ने
फिर भी नहीं समझ पाते
लोग एक-दूसरे की बात
खुद भी नहीं सुनते उसे
न ही खुद बोलते उससे
वरना आसान हो जाती चीजें
लोग बिन कहे
एक-दूसरे की बात समझ जाते
अथवा तो सुनकर वही समझते
जो कहा गया है
जो एक छुपा है सारी कायनात के पीछे
वही देखता है
वही देख रहा है
अपनी पूरी शक्ति से
उसके होने में ही हमारा होना है
वही जीवन की मुद्रिका में जड़ा सोना है
उसकी स्मृति हमें रख सकती है मुक्त
और अपने आप से युक्त !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-12-2022) को "बिगड़ गई बोली-भाषा" (चर्चा-अंक 4638) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार शास्त्री जी!
हटाएंबहुत सुंदर रचना!!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार रूपा जी!
हटाएंसुंदर प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार जिज्ञासा जी!
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