गुरुवार, मार्च 30

एक आभा मय सवेरा



एक आभा मय सवेरा

नींद टूटे, जोश जागे 
हृदय से हर सोग भागे, 
याद में हो मन टिका जब 
टूटते हैं मोह धागे !

प्रेम का सूरज दमकता 
ज्योत्सना बन शांति छाए, 
एक आभा मय सवेरा 
तृप्ति की हर रात लाए !

मुक्त उर से गीत फूटे 
कर्म की ज़ंजीर बिखरे,
मिले जग को प्राप्य उसका 
रिक्त मन की गूंज उतरे !

आस का  दीपक न बुझता 
सहज सम्मुख मार्ग दिखता, 
नहीं मंज़िल दूर कोई 
हर घड़ी वह मीत मिलता !

हर कहीं मौजूद है वह
समय केवल एक भ्रम है, 
कल वही था आज भी है 
वहाँ था जो यहाँ भी है !

10 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत सृजन ।हर बन्द लाजवाब । राम नवमी पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏

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  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 31 मार्च 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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